हैदराबाद: भीषण चक्रवाती तूफान 'मोंथा' के कहर ने तेलंगाना को शोक में डुबो दिया है तूफान के कारण उत्तर और दक्षिण तेलंगाना में दो दिनों तक मूसलाधार बारिश हुई, जिससे कस्बों, गांवों और खेतों में बाढ़ आ गई है. तूफान ने ओरुगल्लू, वारंगल, और खम्मम में जमकर तबाही मचाई है. वहीं, नलगोंडा और महबूबनगर के कुछ हिस्से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
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नदियां और नहरें उफान पर हैं
जिससे हजारों एकड़ खड़ी फसलें जलमग्न हो गई हैं अनाज खरीद केंद्रों में रखा धान बह गया है, जिससे किसान परेशान हैं. कई इलाकों में सड़कें कट गई हैं, जिससे गांव और कस्बे अलग-थलग पड़ गए हैं. राज्य भर में अब तक 12 लोगों की जान जा चुकी है और चार लापता हैं, जबकि अधिकारियों का अनुमान है कि 4.47 लाख एकड़ में फसल बर्बाद हुई है.
वारंगल और खम्मम जलमग्न
ग्रेटर वारंगल शहर लगातार दूसरे दिन भी जलमग्न है. लगभग 45 कॉलोनियों में बाढ़ का पानी घरों में घुस गया है और सब कुछ तबाह हो गया है. भीमाराम, वड्डेपल्ली, कपुवाड़ा, शिवनगर, बीआर नगर और जवाहरनगर सहित लगभग 25 कॉलोनियां अभी भी जलमग्न हैं.वारंगल और हनुमाकोंडा के बीच यातायात ठप हो गया है, जबकि हंटर रोड और मुलुगु क्रॉस जैसे प्रमुख मार्ग ब्लॉक हैं. राहत दल लोगों को बचाने के लिए नावों का उपयोग कर रहे हैं और 2,000 से अधिक निवासियों को 12 पुनर्वास केंद्रों में पहुंचाया है.
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मंत्री कोंडा सुरेखा, सांसद काव्या, विधायक नयिनी राजेंद्र रेड्डी, महापौर सुधारानी और जिला कलेक्टर सत्यशरधा और स्नेहा शबरीश ने राहत कार्यों का जायजा लेने के लिए प्रभावित कॉलोनियों का दौरा किया है. खम्मम में मुन्नेरु नदी का जलस्तर चिंताजनक रूप से बढ़ गया है, जो गुरुवार रात तक 26 फीट तक पहुंच गया. बोक्कलगड्डा, मंचिकांतिनगर, मोतीनगर और नायडूपेटा सहित कई इलाके जलमग्न हो गए. अधिकारियों ने छह पुनर्वास केंद्र स्थापित किए हैं, जिनमें 520 से ज़्यादा लोगों को आश्रय दिया गया है.
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जिलों में व्यापक नुकसान
नलगोंडा क्षेत्र में, 20 घर नष्ट हो गए और 30 को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है. वहीं, 30 मवेशी भी मारे गए हैं. देवरकोंडा-कंबलपल्ली सड़क कोरुतला गांव में बह गई. नगरकुरनूल जिले में भी सड़कें कट गईं, जहां लट्टीपुर के पास श्रीशैलम-हैदराबाद राजमार्ग के कुछ हिस्से बह गए.
आदिवासी, विस्थापित परिवार पीड़ित
नलगोंडा और नगरकुरनूल में विस्थापित और आदिवासी परिवारों की दुर्दशा दिल झकझोर देने वाली है. डिंडी और नक्कलगंडी परियोजनाओं के ओवरफ्लो के कारण, कई आदिवासी थांडा (आदिवासी बस्तियां) अभी भी संपर्क से कटे हुए हैं.
मोथिथांडा के ग्रामीणों ने ट्रैक्टरों की मदद से 60 निवासियों को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाया. अचम्पेट मंडल के अंतर्गत मारलापाडु थांडा में, नक्कलगंडी जलाशय के अतिप्रवाह के कारण 250 परिवारों को पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे घर, पशुधन और संग्रहीत कपास जलमग्न हो गए. अधिकारियों और बचाव दल ने राहत कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन तबाही काफी ज्यादा हुई है.
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